परिचय: सुनहरी पीठ वाला कठफोड़वा इसकी काली गर्दन तथा काली दुम होती है। ब्लैक-रम्प्ड फ्लेमबैक अथवा लेस्सर गोल्डेन-बैक्ड कठफोड़वा (डाईनोपियम बेंग्हालेंस) दक्षिण-एशिया में विस्तृत रूप से पाया जाता है।
विशिष्टता: इनके पीठ के पंखों के घने हिस्से जो कि सुनहरे होते हैं, बहुत सुन्दर दिखते हैं। इसकी दुम और गर्दन काली होती है, जिसमें सफ़ेद रंग की महीन धारियां होती हैं , शरीर के निचले हिस्से सफ़ेद होते हैं जिनमें गहरे रंग की पट्टियां होती हैं। जिनसे यह क्षेत्र में पाए जाने वाले किसी भी अन्य सुनहरी पीठ वाले कठफोड़वे से अलग दिखता है। नर के सिर पर लाल ताज के सामान फर होते हैं, मादाओं में ये सफ़ेद रंग के साथ काले धब्बे होते है इनके पूंछ के पंख कठोर होते हैं, जिसके कारण इनको साखों पर बैठने और सर टकराने के कारण विपरीत बल को काम करने में मदद करता हैं।
कठफोड़वा की सीधी नोक वाली चोंच होती है, लकड़ी खोद कर कीड़ों को पकड़ने के लिए लंबी जीभ की मदद ली जाती हैं जो तेज़ी से आगे फेंका जा सकता है ताकि शिकार भाग न जाए ।
प्रजनन का समय आम तौर पर फरवरी से जुलाई के बीच होता है।
प्रजनन के मौसम के दौरान वे अक्सर ध्वनियां निकालते हैं। ये घोंसला तनो को खोद कर बनाते हैं तथा इसका प्रवेश-द्वार क्षैतिज होता है।घोंसले में छोर पर अक्सर कीचड़ लगा पाया जाता है ।आम तौर पर ३ अंडे खोह के अंदर दिए जाते हैं, जो कि लम्बे आकार के तथा चमकदार सफ़ेद होते हैं। अंडे ११-12 दिनों के सेने के बाद फूटते हैं। बच्चे लगभग १५-20 दिनों तक घोंसले में रहने के बाद सवतंत्र हो जाते हैं।, ये पक्षी अन्य पक्षियों का घोंसला हड़प लेते हैं
आवास: यह लगभग दक्छिन एशिया के हर देश में पाए जाते हैं, भारत(भारत के राज्य झारखण्ड का ये राजकीय पंछी हैं),पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका मैदानों में पाए जाती हैं। ये खुले वनों तथा तथा कृषि छेत्र के आस पास देखे जाते हैं।। वे मानव निर्मित आवासों तथा मानव बस्तियों में देखे जाते हैं।
आहार: इनका मुख्य आहार कीड़े हैं, मुख्य रूप से बीटल के लार्वा, दीमक हैं तथा कभी-कभी शहद, गिरा हुआ खाना या फल भी खाते देखा गया हैं
Kingdom (जगत): Anamalia
Phylum (संघ): chordata
Class (वर्ग): Aves
Order (गण): Piciformes
Family (कुल): Picidae
Genus (वंश): Dinopium
Species (जाति): D. benghalense
Scientific name: Dinopium benghalense
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