बटेर (अंग्रेजी: Quail) भूमि पर रहने वाले जंगली पक्षी हैं जो ज्यादा लम्बी दूरी तक नहीं उड़ सकते हैं और भूमि पर ही घोंसले बनाते हैं। बटेर पक्षी (Quail Bird) एशिया (भारत, चीन, पाकिस्तान) अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप में मुख्यतः पाये जाते है। भारत देश में बटेर बहुतायात में मिलते है पर इनके स्वादिष्ट माँस के कारण इनका शिकार किया जाता है। इस कारण बटेरों की संख्या में भरी कमी आ चुकी है। भारत सरकार ने इसी वजह से वन्य जीवन संरक्षण कानून, 1972 के तहत बटेर के शिकार पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, और आज कल बटेर पालन कम लागत, सुगम रख-रखाव तथा पालन-पोषण के साथ और लगभग हर राज्य और खासकर बिहार में जोरो से हो रहा है, यह बटेर पालको के लिए लाभ कारी सिद्ध हो रहा है।
आपको मालूम है बटेर चिड़िया उड़ नहीं सकती? Did you know that the quail bird cannot fly?
भारत सरकार ने इसी वजह से वन्य जीवन संरक्षण कानून, 1972 के तहत बटेर के शिकार पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, और आज कल बटेर पालन कम लागत, सुगम रख-रखाव तथा पालन-पोषण के साथ और लगभग हर राज्य और खासकर बिहार में जोरो से हो रहा है, यह बटेर पालको के लिए लाभ कारी सिद्ध हो रहा है।
इस पक्षी की लम्बाई 5 से 10 इंच के करीब है। बटेर का वजन ७०-80 ग्राम से 150 ग्राम तक हो सकता है।
बटेर के पैर लम्बे और मजबूत होते है। इनका रंग मुख्याता भूरा होता है पर पंखो के पास सफ़ेद और काली पट्टिया देखे देती है, इस वजह से ये मिट्टी और आस पास के वातावरण से गुल जाती और इनको देखना काफी मुश्किल हो जाता है। इनकी चोंच छोटी और मुड़ी हुई काले रंग की होती है।
इस पक्षी के पंख होते है पर बटेर ज्यादा ऊंचाई और दूरी तक उड़ नही सकता है।
बटेरों की दिन और रात दोनों समय की गतिविधि देखी जाती है। वे जब भी खाने की तलाश में बाहर जाते हैं तो हमेशा उसकी तलाश में रहते हैं। इसके अलावा, उनकी प्रजातियों के बीच मुख्या अंतर है कि वे दिन में और रात में कब सक्रिय होंगे।
बटेर सर्वाहारी पक्षी है। यह पेड़ पौधों के पत्तियां, बीज, बैरी, फल,अनाज खाने के साथ ही कीड़े/मकोड़ो को भी खा सकता है।
यह मैदानो में, झाड़ियों के पास, खेतों भी मिलता है। बटेर अपना घोंसला भी जमीन पर झाड़ियों में बनाता है। बटेर पक्षी झुंड में रहता है। कुछ पक्षी अकेले भी रहते है। सबन्ध बनाने के वक्त जोड़ा बनाता है। इनके झुंड में करीब २० पक्षी होते है।
बटेर पक्षी सबन्ध बनाने के वक्त जोड़े में रहता है। मादा बटेर एक बार मे करीब औसतन 6 से 8 अंडे देती सकती है। अंडा सफेद रंग का होता है जिस पर काले या भूरे रंग के चकते होते है।
करीब २०-23 दिनों तक अंडों को सेहने के बाद उनमें से बच्चे निकलते है। करीब ४५-55 दिन तक मादा बच्चो का ख्याल रखती है। बटेर के पमुख शिकारी जानवरों में लोमड़ी, बिल्ली, चील, सांप इत्यादि जानवर होते है। कुछ जानवर इनके अंडों का शिकार करते है तो कुछ जानवर बटेर के मांस के लिए इनका शिकार करते है।
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