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लेखक की तस्वीरTanweer adil

"छाड़न झील" या "गोखुर झील": पश्चिम चम्पारण का मशहूर सरैया मन के बारे में ।

अपडेट करने की तारीख: 24 जून 2022

{"Chhadan Lake" or "Gokhur Lake": About the famous Saraiya Mann of West Champaran.}

गोखुर झील या छाड़न झील अथवा चापाकार झील (अंग्रेजी: Oxbow lake/ Cut-off lake)

निर्माण: मैदानी क्षेत्रों मे नदी की धारा स्थानों के ढालान के अनुरूप बहती हैं, इससे अक्सर ये नदियाँ दाएं बाएं बल खाती हुई प्रवाहित होती है और विसर्प का निर्माण करती है, ये विसर्प S आकार के होते हैं, और जब किसी कारण (मंद ढाल / प्रौढावस्था की स्थिति) में जब नदी का प्रवाह धीमी हो जाती है तब वो अपने वेग के कारण विसर्प को त्याग कर देती है तब नदी का अपशिष्ट भाग अपने आकर के कारण गोखुर झील कहलाता है, जिसे स्थानीय भाषा में "मन" भी कहा जाता है।




ऐसा ही कई मन बिहार के जिलों में पाए जाते हैं, इनमे से सरिया मन झील जो अपने खूबियों की कारण जाना जाता है जो पश्चिम चम्पारण के बेतिया से केवल 9 km की दुरी पर उत्तर दछिण पश्चिम दिशा में स्थित है, जो की उदय पुर जंगल क मध्य अपने सौंदर्य के लिए आस पास क इलाको में काफी प्रसिद्ध है, और सैलानियों के लिए एक उपयुक्त स्थान भी है।


महत्तव: मुख्यतः नवंबर के अंतिम सप्ताह तक ग्रीनलैंड और साइबेरिया सहित अन्य देशो से पक्षियों का आगमन सरैया मन में होता है और फरवरी के अंतिम सप्ताह में यहां से लौट जाते हैं। यहां 135 प्रजाति के विदेशी और 85 प्रजाति के देसी पक्षी आते हैं आस पास अचानक बढ़ती आबादी और जल प्रदूषण की कारण अभी कई प्रवासी पक्षी का आना नहीं देखा जा रहा है जो की पारिस्थतिकी की लिए चिंता का विषय है।


बिहार की प्रमुख छाड़न झीलें -Bihar ke Pramukh Chadan Jheel.

1. कांवर झील - बेगूसराय कांवर झील को भारत का 39 वां रामसर साइट घोषित किया गया है । जो बिहार का पहला रामसर है। यह झील एशिया का सबसे बड़ी गोखुर झील है। इस झील निर्माण बूंदी गंडक नदी से हुआ है, बिहार सरकार ने इसे 1984 ई. में पक्षी विहार का दर्जा दिया।


2. कुशेश्वरस्थान झील - दरभंगा:

कुशेश्वरस्थान झील का क्षेत्रफल कमला और करेह आदि नदियों के जल एकत्रित होनेेे के कारण बनता है

कुशेश्वरस्थान झील बिहार के दरभंगा के कुशेश्वरस्थान प्रखंड में स्थित है । इस झील को 1972 ई. में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया, इस झील में सर्दी के दिनों में पेलिकन डालमटिया (Pelican Dalmatia) तथा साइबेरियन क्रेन (Siberian Cranes) के अलावे और कई सारे प्रवासी पक्षी प्रवास के दौरान यहाँ देखने को मिल जाते है।


3. सिमरी बख्तियारपुर झील - सहरसा:

  • सिमरिया बख्तियारपुर झील की आकृति घोड़े की नाल की तरह है । इस झील के दक्षिण - पश्चिम में कावर झील तथा उत्तर - पश्चिम में कुशेश्वरस्थान झील है।

  • सिमरी बख्तियारपुर झील बिहार राज्य के सहरसा से 25 किलोमीटर की दूरी पर सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में स्थित है । झील का निर्माण सरदिया, जमुनिया, कुमिबी तथा गोबरा आदि नदियों के मिलने से हुआ है।


4. गोगाबिल झील - कटिहार

  • यह झील बिहार का 15 वां आरक्षित क्षेत्र एवं पहला समुदायिक अभ्यारण भी है।

  • गोगाबिल झील को घोघा चाप या घोघा झील भी कहते हैं। यह झील बिहार राज्य के कटिहार जिले के मनिहारी में स्थित है । इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 5 वर्ग किलोमीटर में फैला है ।

  • महानंदा नदी से इसे जल प्राप्त होता है । गोगाबिल झील प्रवासी पक्षियों के लिए भी प्रसिद्ध है, यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में कैप्शियन सागर छेत्र और साइबेरियाई क्षेत्र से लगभग 300 प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं।


5. जगतपुर झील - भागलपुर।

  • जगतपुर झील राज्य के भागलपुर जिले में ही स्थित है इसका क्षेत्रफल 440 हेक्टेयर में है, जो गर्मी के मौसम में सूख जाता है पर वर्षा ऋतू में ये फिर से अपना आकार ले लेता है।

  • जगतपुर झील में भी देशी और विदेशी प्रजातियों के पक्षियों को देखा जा सकता है।

6. सरैया मन झील, बेतिया

  • सरिया मन झील जो अपने खूबियों की कारण जाना जाता है जो पश्चिम चम्पारण के बेतिया से केवल 9 km की दुरी पर उत्तर दछिण पश्चिम दिशा में स्थित है, जो की उदय पुर जंगल क मध्य अपने सौंदर्य के लिए आस पास क इलाको में काफी प्रसिद्ध है

  • "अमवा मन झील" बेतिया NH 727 पर पश्चिम चम्पारण के प्रवेश द्वार पर स्थित,और लगभग 410 एकड़ में फैला "अमवा मन झील" (गोखुर झील या छाड़न झील )अब अपने अतीत को भूल कर, समय के साथ-साथ बिहार के नक़्शे पर उभरता हुआ एक पिकनिक स्पॉट बनने जा रहा है।

 

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