बिहार की अगर बात की जाए तो यहाँ सैकड़ो मन आपको देखने को मिल जाएंगे, जिनमे बहुत सारे विलुप्त हो चुके हैं और कई सारे विलुप्ति के कागार पर हैं, लेकिन उसमे से एक सरैया मन (अंग्रेजी: Saraiya man, Udaypur Wildlife Sanctuary, West Champaran) जो एक वन छेत्र के साथ सिमित छेत्र में राज्य और जिले के लिए आकर्षण का केंद्र है और अपनी जीव विविधता को बनाये रखने में अभी भी संघर्ष कर रहा है। सरकारी हस्तक्षेप के कारण अभी इसमें बहुत सारी संभावनाए दिख रहीं हैं, लेकिन अफ़सोस की बात हैं की इस छेत्र में निवास करने वाले हम इस अनमोल प्राकृतिक धरोहर को अनदेखा और अज्ञानता वश नष्ट कर रहे हैं।
एक समय ऐसा था जब इस मन के पानी की गुणवत्ता के कारण आस पास के इलाको में बेचा जाता था, पर आज इसका जल दूषित हो चूका हैं। स्थानीय खबरों के अनुसार इस मन के कुछ स्थानों पर मरी मछलियां देखी गई थी । सरकार और वन विभाग की मुस्तैदी के कारण जीव वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद इस मन का सर्वेक्षण करते रहते हैं, और सालाना अपनी रिपोर्ट वन विभाग को सौंपते रहते हैं।
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में, स्तिथ "उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य" (Udaipur Wildlife Sanctuary) जिसको सरैया मन झील भी बोला जाता है, बैरिया सर्कल, बेतिया शहर से लगभग 9.4 किमी दक्षिण-पश्चिम में 887 एकड़ वन भूमि पर स्थित है। अभयारण्य को 1978 में अधिसूचना संख्या के तहत अधिसूचित किया गया था।
उदयपुर में वन क्षेत्र लगभग समतल भूमि पर एक अर्धचंद्राकार झील (Oxbow or Hoarse shoe lake) है जिसे सरैयामन झील (Saraiya man) के नाम से जाना जाता है जो मझरिया गाँव को लगभग एक द्वीप जैसे पैमाने पर घेरती है। मझरिया गांव झील के दूसरी तरफ जंगल के एक छोटे से टुकड़े से घिरा है। सरैयामन उदयपुर के जंगल से 'हाराहा' नामक नदी द्वारा जुड़ा हुआ है।
19 वीं शताब्दी की शुरुआत में, गंडक नदी, सरैयामन झील को छोड़ती हुई दिखाई जान पड़ती है, जो परित्याग के बाद बनी प्रतीत होती है। अपने छोटे आकार के बावजूद, इस अभयारण्य का जबरदस्त ईको-पर्यटन मूल्य है। सरैयामन (Saraiya man),अर्धचंद्राकार झील (Oxbow or Hoarse shoe lake) के आकार की मीठे पानी की झील है जो अभयारण्य की लगभग एक तिहाई भूमि पर कब्जा करती है। अभयारण्य के एक छोटे से क्षेत्र में नदियों के किनारे जंगलों के उत्तर-पश्चिम और पश्चिम में सुंदर बेंत जंगल पाए गए हैं। सरैयामन झील है जो जामुन के पेड़ों से घिरी हुई है। यह इस पूरे क्षेत्र में बहुतयात में मिलती है। जामुन के फल जो स्वयं इस झील में गिर जाते है और झील के पानी को औषधीय गुण देते है।
यूँ तो सरैयामन झील (Saraiya man) की गहराई को लेकर लोगो में काफी भ्रांतिया हैं, की ये बहुत ही गहरा है, लेकिन सरकारी (डॉ. R. K. Sinha "हेड डिपार्टमेंटऑफ़ जूलॉजी, पटना यूनिवर्सिटी") सर्वेक्षण में सरैयामन झील, बेतिया की गहराई 5 नवंबर 2014 को अलग अलग जगहों पर न्यूनतम 10.7 फ़ीट से अधिकतम 29.1 फ़ीट दर्ज की गई है।
सीमाएँ: उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य की सीमाएँ इस प्रकार हैं -
उत्तर: ग्राम पतराखा-नौरंगिया की खेती की भूमि।
दक्षिण : ग्राम बलुआ-रामपुरवा व तुमकुरिया की खेती की भूमि।
पूर्व: सिसवा सरिया गांव की खेती, और भटौलिया।
पश्चिम: हरि नाला और खेती बागबरपुर और सिरसिया-मठिया ग्राम भूमि।
जंगली जानवर (सरैया मन झील : Saraiya man)
ग्रामीण लोगों के द्वारा वास्तविक दर्शन के आधार पर जीवों चिन्हित किया गया है। हालांकि, वैज्ञानिक आधार पर विभिन्न प्रजातियों की आबादी का कोई अनुमान नहीं लगाया गया है।
जंगली जानवर निम्नलिखित हैं: भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चित्तीदार हिरण, जंगली भालू, जंगली बिल्ली, सियार, साही, कभी कभी तेंदुआ और बाघ देखने की खबर आती हैं।
(इनमे से कुछ जंगली जानवर हमेशा नहीं देखे जाते)
पक्षी (सरैया मन झील)
पक्षी: सरैया मन (Saraiya man) झीलऔर उसके आस पास उदयपुर वन्य जीव अभयारण्य में पक्षियों की केवल 15 प्रजातियों को दर्ज (2014-2015) किया गया था।
झील में सर्दियों के महीनों के दौरान दिखाई देने वाले प्रवासी पक्षी लालसर बत्तख, नीलसर बत्तख, गार्गनी टील, दुम्बी बत्तख, कुर्चिया/ बुरार, कॉमन टील और मुर्गाबी थे।इसके अलावा, झील के किनारे, जकाना, एग्रेट्स, तालाब बगुला, स्वैम्प पार्ट्रिज, पर्पल मूरहेन जैसे पक्षियों की भी सूचना थी। झील के पास स्थित विविध जंगलों में आम पक्षी हैं जंगली कौवा, सफेद कलगी वाला बुलबुल, लाल मूंछ वाला बुलबुल, ब्लैक बर्ड, ट्री पाई, जंगल बब्बलर और आम बब्बलरआदि।
सरैया मन (Saraiya man) झील का महत्व :
मुख्यतः नवंबर के अंतिम सप्ताह तक ग्रीनलैंड और साइबेरिया सहित अन्य देशो से पक्षियों का आगमन सरैया मन (Saraiya man) में होता है और फरवरी के अंतिम सप्ताह में यहां से लौट जाते हैं। यहां 135 प्रजाति के विदेशी और 85 प्रजाति के देसी पक्षी आते थें।आस पास अचानक बढ़ती आबादी और जल प्रदूषण की कारण अभी कई प्रवासी पक्षी का आना नहीं देखा जा रहा है, जो की पारिस्थतिकी की लिए चिंता का विषय है । कुछ प्रवासी पंछी यहाँ के प्रमुख है:
सरीसृप (सरैया मन झील : Saraiya man)
सरीसृप: अजगर, बंधुआ करैत, कोबरा, पनसांप आदि अभयारण्य में आम हैं। कथित तौर पर उदयपुर (सरैयामन) झील में एक मगर और दो घड़ियाल को छोड़ा गया था। यह पुष्टि नहीं है कि वे जीवित हैं या नहीं।
मछलियां (सरैया मन झील)
मछलियां: सरैया मन झील की मछलियां स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं क्योंकि वे इसे बहुत स्वादिष्ट और स्वस्थ मानती हैं। उदयपुर (सरैयामन) झील और हरहा नाला में रोहू, नैनी, कतला, कवाई, तेंगरा, बांगुरी और कई अन्य खाद्य मछलियाँ पाई जाती हैं।
पेड़-पौधे (सरैया मन झील)
सरैया मन (Saraiya man) झील चुकि एक अभयारण्य है और बिहार सरकार के द्वारा संरक्षित भी, इसलिए यहाँ पेड़ों की कटाई प्रतिबंधित है, पर यहाँ के आस पास बसने वाले लोग यहाँ से जलावन की लकड़ियाँ चुन के ले जाते है। कभी कभी अवैध लकड़ियों को वन विभाग के द्वारा पकड़ा भी किया जाता है, जिसमे शीशम, सखुआ, सागवान इत्यादि प्रमुख हैं।
जंगल होने के कारण यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जंगली पेड़ो के साथ जामुन की पेड़ों की अधिकता है, जो सरिया मन के किनारो के चारो तरफ कतार में मिलते है। जामुन के फल पक के इसी में गिरते रहते हैं, जिसके कारण इस मन का पानी औषधीय गुण का बन जाता है।
यहाँ पर पाए जाने वाली प्रमुख रूप से बेंत जो कभी इस जंगल में बहुतयात में मिलते थें और Bettiah शहर का नाम भी इसी कारण पड़ा क्योकि ये पूरा इलाका ही बेंत की जंगल के लिए मशहूर था। बेंत से विभिन्न प्रकार के मेज़ और कुर्सियां बनाई जाती हैं जो काफी महगें बिकते है, इसी कारणवश ८०-९० के दशक में इनकी कटाई और अवैध तस्करी की जाने लगी जो वर्त्तमान में पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख पेड़ जामुन, बेंत, शीशम, सखुआ, बेल, सेमल, इमली, खैर, कंकर, जिगना, कदम्ब इत्यादि हैं ।
शैवाल
सरिया मन (Saraiya man) के पानी में पाए जानी वाली वनस्पति जिसको नजस इंडिका और हाइड्रिला (वाटर थाइम) कहते हैं। स्थानीय भाषा में इसे सेवार कहा जाता है, जो शैवाल का बिगड़ा हुआ रूप है। मीठे पानी के आवासों में पाए जाने वाले जलीय पौधे की एक प्रजाति है, विशेष रूप से शांत या धीमी गति से चलने वाले पानी, जैसे तालाब और मन, आद्रभूमि में पाए जाती है। ये जलीय पौधे की एक प्रजाति है, जो मन में एक आक्रामक प्रजाति के रूप में स्थापित है, और ये हाइड्रिला (वाटरथाइम) मन के लिए सबसे गंभीर जलीय खरपतवार समस्या बन गई है, लेकिन इसके साथ साथ ये कई प्रकार की मछलियों के आहार में भी शामिल हैं ।
[References: उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य, बैरिया, बेतिया (पश्चिम चंपारण) की सरैयामन झील का पानी की गुणवत्ता और बायोटा रिपोर्ट डॉ. R. K. Sinha "हेड डिपार्टमेंटऑफ़ जूलॉजी, पटना यूनिवर्सिटी"]
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