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लेखक की तस्वीरTanweer adil

Kesariya Stupa, East champaran। world's largest Budha's Stupa।दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा ....

अपडेट करने की तारीख: 4 सित॰ 2023

दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है केसरिया स्तूप।

केसरिया स्तूप (english: Kesariya Stupa) की खोज भारत में संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। ASI की टीम को इस बात का अंदाजा नहीं था कि खुदाई में निकला स्तूप दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा (World's tallest and biggest buddha Stupa) स्तूप होगा। पुरातत्वविदों का मानना ​​​​है कि केसरिया में लोगों में "राजा बेन का देवाला" के रूप में जाना जाने वाला यह स्तूप, बुद्ध के निर्वाण प्राप्त करने से पहले वैशाली के लिच्छिवियों द्वारा बनाया गया था।


भारत के बिहार में स्तिथ पूर्वी चंपारण जिले में पटना से 110 किलोमीटर की दूरी पर केसरिया स्तूप स्थित है, केसरिया में एक बौद्ध स्तूप है। इस स्तूप का पहला निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है। केसरिया स्तूप की परिधि लगभग (120 मीटर) है और इसकी ऊंचाई लगभग 104 फीट (32 मीटर) है।

104 फीट की ऊंचाई तक (अपनी मूल ऊंचाई से बहुत कम), यह जावा में प्रसिद्ध बोरोबोदुर स्तूप, एक विश्व धरोहर स्मारक से एक फुट लंबा है।

1934 में बिहार में आए भूकंप से पहले केसरिया स्तूप (english: Kesariya Stupa) 123 फीट लंबा था। हाल के दिनों में जब भारत में और खास कर बिहार प्रान्त में बौद्ध धर्म फला-फूला, केसरिया स्तूप 150 फीट और बोरोबोदुर स्तूप 138 फीट लंबा होने का प्रमाण था, (ए.एस.आई. रिपोर्ट) वर्तमान में केसरिया की ऊंचाई 104 फीट और बोरोबोदुर की ऊंचाई 103 फीट हो गई है। विश्व धरोहर स्मारक 'सांची स्तूप' की ऊंचाई 77.50 फीट है, जो केसरिया स्तूप का लगभग आधा है।

प्राचीन काल में केसरिया मौर्यों और लिच्छवियों के शासन में था। स्तूप का पहला निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है। मूल केसरिया स्तूप (english: Kesariya Stupa) शायद अशोक (लगभग 250 ईसा पूर्व, आज से लगभग 2271 साल पहले ) के समय का है, क्योंकि अशोक के एक स्तंभ की राजधानी के अवशेष वहां खोजे गए थे। स्तूप टीले का उद्घाटन बुद्ध के समय में भी हुआ होगा, क्योंकि यह कई मायनों में वैशाली के लिच्छवियों द्वारा बुद्ध द्वारा दिए गए भिक्षा कटोरे को रखने के लिए बनाए गए स्तूप के वर्णन से मेल खाता है।

भगवान बुद्ध ने अपनी अंतिम यात्रा पर केसरिया में बिताया। यहां उन्होंने सनसनीखेज घोषणाएं कीं, जिन्हें बाद में बौद्ध जातक-कथा में दर्ज किया गया। "यहां केसरिया में बुद्ध ने कहा कि अपने पिछले जन्मों में उन्होंने चक्रवर्ती राजा के रूप में शासन किया था।"
वर्तमान स्तूप 200 ईस्वी और 750 ईस्वी के बीच गुप्त राजवंश का है और यह चौथी शताब्दी के शासक राजा चक्रवर्ती से जुड़ा हो सकता है। (हर काल में अनेको राजाओं एवं राज वंशों ने इसके जिनोंद्वार (मरम्मत) किया होगा इसीलिए ये अभी भी हमारे बिच मौजूद है)

कुषाण वंश के प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क (30 ई. से 375 ई.) जो की बौद्ध धर्म का अनुयायी था, उसके शाशन काल की मुहर वाले सोने के सिक्कों की खोज से केसरिया की प्राचीन विरासत को और अधिक ख्याति प्रदान हुआ है।

केसरिया स्तूप (english: Kesariya Stupa) की हाल की खुदाई ए.एस.आई. पटना सर्कल बौद्ध इतिहास पर प्रकाश डालता है। उत्खनन से स्तूप के चारों ओर "प्रदक्षिणा पथ" के साथ छतों का पता चलता है। महत्वपूर्ण खोज "भूमि स्पर्श मुद्रा" और अन्य में बैठे छवि में भगवान बुद्ध कई मुद्राओं में हैं। ये आकृतियाँ प्रत्येक परत में मिट्टी और कंकड़ से बनी हैं। मिट्टी के दीये, सजी हुई ईंटें और अन्य कुम्हार के आकर्षण के अन्य बिंदु हैं। बौद्ध खजाने ने दुनिया के भक्तों और जनता के उल्लास के लिए अपनी पूरी महिमा को उजागर किया है।


प्राचीन काल में ये केसरिया जनपद कितना विकसित और ऐतिहासिक दृस्टि से कितना महत्वपूर्ण है, इस छेत्र में रहने वाली अब की पीढ़ी को गर्व होना चाहिए क्यूंकि, स्वयं भगवान बुद्धा दो महान और विदेशी यात्री, फैक्सियन (फाह्यान) और जुआन जांग (हुआन त्सांग) ने प्राचीन काल में इस स्थान का दौरा किया था और अपनी यात्रा के दिलचस्प और जानकारीपूर्ण विवरण अपने संग्रह में छोड़े हैं।


कैसे जाएं?

  • केसरिया भारत के सभी स्थानों से अच्छी सड़कों से जुड़ा हुआ है। केसरिया से कुछ जगहों की दूरी चकिया से 22 किमी, मोतिहारी से 40 किमी, मुजफ्फरपुर से 75 किमी, वैशाली से 55 किमी, सोनपुर से 80 किमी, पटना से 110 किमी है।

  • 150 किमी की दूरी पर पटना हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

  • चकिया निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो भारत के सभी प्रमुख शहरों और स्थानों से जुड़ा हुआ है। पर आप मुजफ्फरपुर जंक्शन को चुने, यहाँ पर सैकड़ो ट्रेन देश के कोने कोने से आती हैं।

केसरिया स्तूप के पास के इलाके ज्यादा डेवलप्ड नहीं है, यह पर होटल न मात्र के हैं, खाने की दिक्कत नहीं होगी लेकिन रात में ठहरने में हो सकती है, छोटे मोठे लॉज मिल सकते हैं। कोशिश करे की यहाँ १० बजे सुबह तक पहुंचे, इस ४-५ घंटे समय दे और फिर लौट जाए।


 

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