top of page
लेखक की तस्वीरTanweer adil

सत्याग्रह की धरती "भितिहरवा" (Eng: Bhitiharwa Ashram)॥ जहां से बापू ने शुरू किया था पहला सत्याग्रह॥

अपडेट करने की तारीख: 29 जून 2022

कुछ इतिहास के पन्नो से

अंग्रेजी सत्ता और शोषण के समय जब महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका से लौट, भारत में भ्रमण कर रहे थे तब उनको खोजते श्री राज कुमार शुक्ल महात्मा गांधी से मिले और चम्पारण की तीन कठिया जोत/नील की खेती के बारे में गांधी जी को बताया की कैसे चम्पारण के किसान भूखमरी और शोषण के शिकार हो रहे हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं

इस वय्था को सुन महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम इसी चंपारण की धरती भितिहरवा को चुना, 27 अप्रैल 1917 जब बापू राज कुमार शुक्ल के आग्रह पर पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांव में पहुंचे. भितिहरवा की दूरी नरकटियागंज से 16 किलोमीटर है. बेतिया से 54 किलोमीटर है. बापू यहां देवनंद सिंह, बीरबली जी के साथ पहुंचे

बापू सबसे पहले ट्रेन से पटना पहुंचे थे। जहां वे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के घर में रुके थे। पटना से मोतिहारी आएं, और फिर मोतिहारी से बेतिया पहुंचे। बेतिया में वे हज़ारी मल धर्मशाला, लाल बाजार में ठहरे। बेतिया के बाद उनका अगला प्रस्थान कुमार बाग हुआ। अंततः कुमार बाग से हाथी पर बैठकर बापू श्रीरामपुर भितिहरवा पहुंचे थे। गांव के मठ के बाबा रामनारायण दास द्वारा बापू को आश्रम के लिए जमीन उपलब्ध करायी। 16 नवंबर 1917 को बापू ने यहां एक आश्रम का निर्माण कराया।


आश्रम का महत्व

आश्रम में किर्या- कलाप निर्धारित था भजन कीर्तन कुछ छोटी मोती सभाएं इत्यादि, अपना शौच खुद साफ़ करने का नियम था, हर नए चीज़ को अपनाने में समय लगता है पर यहाँ क़े लोगो ने इसको सराहा और अपनाया भी I लेकिन गांधी जी ने महसूस किया की आश्रम में आने वाले लोगों में मुखयतः पुरुष और बड़े जात के लोग ही हैं, छोटे जात और महिलाऐं संकोच वस आश्रम क बाहर ही रहते थे


गांधी जी जानते थे की कोई भी लड़ाई खुद बात कर नहीं लड़ी जा सकती, और जब सामने वाला दुश्मन इतना मजबूत हो तो आपसी एकता ही इस सत्याग्रह में मदद कर सकती हैI

ये देखते हुए गांधी जी ने सब के साथ और सब के सहयोग से सत्याग्रह करने को ठानी, और अपनी पत्नी कस्तूरबा बा और कुछ साथियों के साथ गांव में घूम कर महिलाओ और छोटे जाती के लोगो को आश्रम में आने को समझाते, ऐसा करने पर कुछ दबा-दबा सा विरोध हुआ पर महात्मा गांधी के सोच और नेतृत्व के आगे सब ने ऊंच नीच, महिला-पुरुष क़े बंधन से मुक्ति पा लीI आश्रम में बच्चों क़े लिए एक 1917 पाठशाला शुरू हुई और सब जात-पात, गरीब-अमीर क़े बच्चे एक साथ शिक्षा लेने लगे I


भितिहरवा वाले स्कूल की ख़ास बात यह है कि यहां खुद कस्तूरबा गांधी रहकर बच्चों की शिक्षा की देख-रेख करती थीं। वहीं, गांधी जी स्वयं महीनों रहकर सफ़ाई एवं स्वास्थ्य कार्य करते रहे। यहां पढ़ाने के लिए गांधी जी ने ख़ास तौर पर बम्बई के वकील सदाशिव सोमण, बालकृष्ण योगेश्वर पुरोहित और डॉ देव को लगाया।



गांधी जी की आत्मकथा के पन्नो से

इस स्कूल के बारे में गांधी जी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, “लोगों ने भीतिहरवा में पाठशाला का जो छप्पर बनाया था, वह बांस और घास का था। किसी ने रात को उसे जला दिया। सन्देह तो आस-पास के निलहों के आदमियों (जो नील की खेती करते थे) पर था। फिर से बांस और घास का मकान बनाना मुनासिब नहीं हुआ। ये पाठशाला श्री सोमण और कस्तूरबा के जिम्मे थी। श्री सोमण ने ईंटों का पक्का मकान बनाने का निश्चय किया और उनके स्वपरिश्रम को देख और लोगो ने भी उसकी मदद की, जिससे देखते-देखते ईंटों का मकान बनकर तैयार हो गया और फिर से मकान के जल जाने का डर न रहा।” यह स्कूल पहले आश्रम में ही संचालित होता था, बाद में इसे पास ही शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन पहली बार जिस खपरैल में गांधी का यह स्कूल शुरू हुआ था, उसे आज भी सुरक्षित रखा गया है। इसमें स्कूल की घंटी और कस्तूरबा की चक्की भी है।


महात्मा गांधी आत्मकथा, “मैं कुछ समय तक चम्पारण नहीं जा सका और जो पाठशालाएं वहां चल रही थीं, वे एक-एक कर बंद हो गईं। साथियों ने और मैंने कितने हवाई किले रचे थे, पर कुछ समय के लिए तो वे सब ढह गए।” गांधी ने आत्मकथा में एक और जगह लिखा है, “मैं तो चाहता था कि चम्पारण में शुरू किए गए रचनात्मक काम को जारी रखकर लोगों में कुछ वर्षों तक काम करूं, अधिक पाठशालाएं खोलूं और अधिक गांवों में प्रवेश करूं। क्षेत्र तैयार था। पर ईश्वर ने मेरे मनोरथ प्रायः पूरे होने ही नहीं दिए। मैंने सोचा कुछ था और दैव मुझे घसीट कर ले गया एक दूसरे ही काम में। भितिहरवा आश्रम

देश में गांधी जी के दो और प्रमुख आश्रम हैं, अहमदाबाद में साबरमती और महाराष्ट्र में वर्धा. लेकिन भितिहरवा बापू की जिंदगी से जुड़े भावनात्मक और सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण प्रयोग रहा हैI


'यदि युवक अच्छे तौर-तरीके नहीं सीखते हैं, तो उनकी सारी पढ़ाई बेकार है.' इसी के नीचे एक और संदेश लिखा है 'यदि आप न्याय चाहते हैं तो आप को भी दूसरों के प्रति न्याय बरतना होगा.' इन पंक्तियों के साथ आप आश्रम में प्रवेश करते है, आश्रम का नाम गांधी स्मारक संग्रहालय रखा गया हैI

बड़े से गेट से अंदर जाने पर सीधा एक रास्ता मिलता है, जो आगे कुछ दुरी पर जाने के बाद एक चौराहे पर मिलता हैI

  • अंदर जाते समय बाए हाथ की तरफ खुला गार्डन दिखता है, जिसमे आम के वृक्ष और फूलों की क्यारियां दिखती हैं, साथ साथ गांधी जी के तीन बंदरो की प्रतिमा दिखती हैI



जब आप चौराहे पर पहुँचते हैं तब सीधा हाथ मुड़ने पर आपको गार्डन और एक चबूतरा दिखता है इसके साथ ही बापू का कुआँ दिखता है, उसके बगल में कबूतर का बड़ा सा गर जो कुछ ऊंचाई पर रखा गया है ताकि बिल्लिया या और कोई जानवर इनको नुक्सान न पंहुचा सकेI


  • चबूतरे से ठीक सामने जाने पर वही पुराना खपड़े का बना हुआ मुख्या आश्रम का कमरा दिखेगा, यहाँ की दीवारों पर इस आश्रम और बापू से मिलने आने वाले लोगो का चित्र टंगा मिलेगाI

  • इस बड़े हॉल के बाए तरफ कस्तूरबा बा की चक्की और रसोई घर का कुछ और सामान देखने को मिलेगीI

कैसे ख़तम हुआ नील की तीन कठिया कानून:

गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रयास का अनुचित ढंग से दमन करना अंग्रेज सरकार के लिए मुश्किल होता जा रहा था, इस दौरान बिहार के तात्कालिक उपराज्य P. Adword Albert Gate (एडवर्ड अल्बर्ट गेट) ने एक जांच कमेटी गठित की और गांधी जी भी इसके सदस्य मनोनीत हुए, इस जांच समिति के अध्यक्ष मध्यप्रदेश के आयुक्त "एफ. जी. ऐलाई" थे, और इनके और सदस्यों में "डी. के. रिड" और "जी. रैने" थे.

4 अक्टूबर 1917 को इस समिति ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की और इस प्रकार बिहार के चम्पारण से तीन कठिया वयवस्था समाप्त हुई और गांधी जी का चम्पारण में अहिंसा सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग सफल हुआI


कैसे जाऐ:

रेलवे Narkatiya Ganj रेलवे स्टेशन से (18 Km की दुरी) पहले छोटी लाइन जाती थी, जो अब बंद हो चुकी है। आप मोतिहारी (100 km ), बेतिया (65 km) या नरकटिया गंज (17 km) होते हुए कार से पहुंच सकते हैं, लेकिन आपको यहाँ खाने पीने की सुविधा नहीं मिलेगी। आपको बेतिया या नरकटिया गंज में ही में ही होटल अच्छे मिल पाएंगे, इसलिए बेतिया या नरकटिया में ही होटल बुक करे और थोड़ा आराम कर के ही भितिहरवा आश्रम के लिए निकले। यहाँ भितिहरवा आश्रम के आलावा आपको वहां कुछ नहीं मिलेगा, अगर आपके पास समय बचता हैं तो आप वहां से जानकी गढ़ जा सकते हैं।


Locality Name : Bhitiharwa ( भितिहरवा ) Block Name : Gaunaha District : Pashchim Champaran State : Bihar Division : Tirhut Language : Maithili and Hindi, Urdu, Bhojpuri



[सौजन्य से: चम्पारण और गांधी, चम्पारण गजटियर, मुजफ्फरपुर गजटियर]


 

["हमारे आस पास" वेबसाइट (www.hamareaaspaas.com ) प्रकृति प्रेमियों के लिए है, जो प्रकृति से प्रेम करते हैं या उसकी चिंता करते हैं, अगर आप भी हमारे वेबसाइट पर कुछ अपने आस पास के बारे में लिखना चाहते हैं, तो हमें बहुत प्रस्सनता होगी। आपके द्वारा लिखे गए आर्टिकल आप के नाम से ही हमारे वेबसाइट में पोस्ट की जाएगी

आप अपना लिखा हुआ और अपना संछिप्त इंट्रो कृपया यहाँ भेजें : hamareaaspaas@gmail.com

The "Hamare aas paas" website (www.hamareaaspaas.com) is for nature lovers, who love or care about nature, if you also want to write something about your surroundings on our website, then we will be very happy. The article written by you will be posted in our website in your name only.

Please send your written and your short intro to : hamareaaspaas@gmail.com ]

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

Comentarios


bottom of page