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लेखक की तस्वीरTanweer adil

बेतिया लाइब्रेरी 117 वर्ष का इतिहास: महाराजा हरेंद्र किशोर सार्वजनिक पुस्तकालय, बेतिया, मीणा बाजार।

अपडेट करने की तारीख: 15 जुल॰ 2022

बेतिया का प्रसिद्द पुस्तकालय, जो बेतिया मीणा बाजार के पूर्व और शहीद पार्क के बगल में स्थित है, आज पाठको और सरकारी उपेक्षाओं को निहारता हुआ, अपने गौरव पूर्ण इतिहास पर गर्व करता हुआ खड़ा है।


महाराजा हरेंद्र किशोर सार्वजनिक पुस्तकालय,जिसकी स्थापना बेतिया राज के योगदान पर वर्ष 1905 में किया गया था। पहले इसे विक्टोरिया मेमोरियल पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में जाना जाता था।

आजादी के बाद 1947 में इसका नाम बदलकर महाराजा हरेंद्र किशोर सार्वजनिक पुस्तकालय कर दिया गया। पुस्तकालय की मूल इमारत 1934 के भूकंप में धराशायी हो गई थी। हालांकि, यह बाद में फिर बेतिया राज के योगदान के साथ एक नई इमारत का निर्माण हुआ। तब से पुस्तकालय उसी भवन में स्थित है।


इतिहास के पन्नो से:

  • इस भवन में दो वाचनालय हैं, एक पत्रिकाओं के लिए और दूसरा दैनिक समाचार पत्रों के लिए।

  • किताबों को स्टोर करने के साथ-साथ कार्यालय को समायोजित करने के लिए कई अन्य कमरों के अलावा गेम रूम भी थें।

  • पुस्तकालय में विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं का भी एक वर्ग था। बच्चों का वर्ग राज्य बाल्कन-जी-बारी के साथ-साथ केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड से संबद्ध था । इस खंड की सदस्यता 102 है। इस खंड के लिए 315 पुस्तकें एकत्र की गई थीं, और बच्चों के लिए कुछ आठ पत्रिकाओं की सदस्यता ली गई थी।

  • पुस्तकालय में एक अच्छा बगीचा भी था (जो अब भी मौजूद है )।

  • 1957 के अंत तक पुस्तकालय में 6,405 पुस्तकें थीं, जिनमें 3324 हिंदी पुस्तकें, 1,709 अंग्रेजी पुस्तकें, 897 बंगाली पुस्तकें और 475 उर्दू पुस्तकें थीं।

  • 1957-58 वर्ष पुस्तकालय ने 9 दैनिक और 59 पत्रिकाओं की सदस्यता ली। हिंदी और अंग्रेजी भाषाएं। उसी वर्ष 435 व्यक्तियों की सदस्य-श्रृंखला थी। इन सदस्यों को प्रति माह प्रति व्यक्ति एक रुपये की राशि की सदस्यता लेने की आवश्यकता होती थी।


मौजूदा स्थिति:

  • अभी ये लगभग बंद ही रहता है, कभी-कभी किसी सरकारी आयोजन में इसको खोला जाता है।

  • पुस्तकों की वास्तविक संख्या मालूम नहीं है, पार्क के अंदर महाराजा हरेंद्र किशोर जी की प्रतिमा स्थापित की गई है, इसके सबसे पश्चिमी भाग को दूकान-मालिकों के द्वारा अतिक्रमण किया जा चूका है।

  • इसी के प्रांगण में सोवा बाबू चौक की तरफ प्याऊ का निर्माण, राहगीरों के लिए किया गया है। प्याऊ के साथ साथ एक छोटी पुलिस चौकी भी है जो वहाँ के यातायात और ट्रैफिक जाम की समस्याओं को देखती है।

  • सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले छात्र, अपने खुद के नोट्स और ग्रुप बना कर इस लाइब्रेरी के पार्क और फर्श पर ग्रुप डिस्कशन करते मिल जाएंगे, और हर वर्ष यहाँ से बहुत से छात्र कॉम्पिटिशन एग्जाम को क्रैक भी करते हैं।

  • बरसात के मौसम में इसके प्रांगण में जल जमाव की समस्या रहती है।

  • अभी सदस्यता शुल्क की कोई जानकारी नहीं है।

Reference:


"Quoted in Prof. I. Q. Sinha's Economic Annals of Bengal, MacMillan and Co .• Ltd" 1927.


"Bihar District Gazetteers: Champaran (1962)"


"Bihar District Gazetteers: Muaffarpur (1960)

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